(Galvanic) Voltaic Cell in Hindi - (गैल्वानी) वोल्टेइक सेल
दोस्तों आज हम आईटीआई इलेक्ट्रीशियन थ्योरी की विद्युत रासायनिक सेल अध्याय से प्राथमिक सेल कि एक प्रकार वोल्टेज सेल के बारे में विस्तार से जानेंगेI
गैल्वानी सेल (galvanic cell) या वोल्टाई सेल (voltaic cell in Hindi)-
सन् 1799ई के लगभग सर्वप्रथम प्रोफेसर एलिजाण्डो वोल्टा तथा लुइगी गैल्वानी नामक वैज्ञानिकों ने रासायनिक क्रियाओं के द्वारा विद्युत वाहक बल उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की। इस प्रकार बनाये गए सैल को वोल्टेइक सेल या गैल्वानी सेल (galvanic cell) कहा गया।
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रासायनिक क्रियाएँ (Chemical Reactions of Voltaic Cell in Hindi)-
वोल्टेइक सेल में इलेक्ट्रोड के रूप में, एनोड कॉपर (Cu) का तथा कैथोड जिंक (Zn) धातु का बना होता है जिन्हें हम कांच की एक पात्र में रखते हैं, तथा उस कांच के बर्तन में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में H2SO4 प्रयोग किया जाता है
इलेक्ट्रोलाइट (H2SO4) में हाइड्रोजन के धन आयन (H++) तथा सल्फेट के ऋण आयन (SO4--) उपस्थित होते हैं। (वास्तव में, ठोस लवण को जल आदि विलायक में घोलते ही उसके धन तथा ऋण आयन्स पृथक् हो जाते हैं।)
जब वोल्टेइक सेल के इलेक्ट्रोडों (Electrodes) को किसी बाहरी लोड से जोड़ते हैं जिसके कारण सर्किट में तथा विलियन में विद्युत धारा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है,
विलियन में विद्युत धारा का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से होता है, और यह इलेक्ट्रॉन विलियन में आयन के रूप में होते हैं, जिसके कारण विलियन में रासायनिक क्रिया प्रारंभ हो जाती है, जो कि निम्न है-
रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप हाइड्रोजन गैस मुक्त हो जाती है। विद्युत धारा का प्रवाह सैल के अन्दर जस्ते की छड़ से ताँबे की छड़ की ओर तथा सैल के बाहर ताँबे की छड़ से जस्ते की छड़ की ओर होता है। (बाह्य परिपथ में इलेक्ट्रॉन्स का प्रवाह, कैथोड से एनोड की ओर होता है।) (गैल्वानी) वोल्टेइक सेल के लाभ (Advantages of Voltaic Cell in Hindi)-
- वातावरण पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।
- यह स्थिर धारा एवं वोल्टेज प्रदान करती है।
(गैल्वानी) वोल्टेइक सेल के हानि (Disadvantages of Voltaic Cell in Hindi)-
- इसे पुन: आवेशित नहीं किया जा सकता है।
- इसे लगातार प्रयोग नही किया जा सकता है|
- उत्पन्न वोल्टेज बहुत कम होने के कारण इसका प्रयोग दैनिक जीवन में नही करते है|
(गैल्वानी) वोल्टेइक सेल में दोष एवं निवारण (Defects and Remedy in Voltaic Cell in Hindi)
- स्थानीय क्रिया (local action in Voltaic Cell)
- ध्रुवाच्छादन (Polarization in Voltaic Cell)
इनका निवारण इस प्रकार किया जाता है -
स्थानीय क्रिया (local action in Voltaic Cell)-
स्थानीय क्रिया (Local action of voltaic cell in Hindi) - जिंक एक ऐसी धातु है, जिसमे सामान्यत: कई प्रकार की अशुद्धियाँ मिली हुई होती हैं; जैसे-लोहा, कार्बन व सीसा आदि। जिंक की छड़ में अशुद्धि के रूप में उपस्थित कार्बन के कण गन्धक अम्ल तथा जिंक के साथ मिलकर अनेक छोटे-छोटे सैल बना लेते हैं और इन छोटे-छोटे सैलों में होने वाले विद्युत धारा के प्रवाह से रासायनिक ऊर्जा व्यर्थ ही व्यय होती रहती है। वोल्टेइक सैल का यह दोष स्थानीय क्रिया (Local action) कहलाता है।
स्थानीय क्रिया का निवारण (Remedy Local action in voltaic cell in Hindi)-
स्थानीय क्रिया दोष को दूर करने के लिए जस्ते की छड़ पर पारे की परत चढ़ा दी जाती है। यह परत, केवल जस्ते को ही गन्धक अम्ल के सम्पर्क में आने देती है और अशुद्धियों को गन्धक अम्ल से सम्पर्क नहीं करने देती। इस प्रकार, यह दोष लगभग दूर हो जाता है।
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ध्रुवाच्छादन (Polarization in Voltaic Cell)-
ध्रुवाच्छादन (Polarization in Voltaic Cell in Hindi)- दी गई रासायनिक क्रियाओं में एनोड पर हाइड्रोजन गैस (H2) बुलबुलों के रूप में मुक्त होती है। ये बुलबुले, ताँबे की छड़ के चारों ओर एकत्र होकर एक पतली फिल्म बना लेते है, जो एनोड को अचालक बना देता हैं। इसका परिणाम यह होता है कि कुछ समय तक कार्य करने के बाद सैल निष्क्रिय (Discharge) हो जाता है, वोल्टेइक सैल का यह दोष ध्रुवाच्छादन (Polarization) कहलाता है।
ध्रुवाच्छादन का निवारण (Remedy of Polarization in Voltaic Cell)-
ध्रुवाच्छादन (Polarization) दोष को दूर करने के लिए एनोड के चारों ओर एक सरन्ध्र पात्र (porous pot) में मैंगनीज डाइ-ऑक्साइड (MnO2) चूर्ण रखा जाता है। यह चूर्ण हाइड्रोजन गैस से क्रिया करके जल बनाता है।
उक्त रासायनिक क्रिया में जल के साथ-साथ मैंगनीज परॉक्साइड (Mn2O3) बनता है, जो वायु से ऑक्सीजन ग्रहण करके पुनः मैंगनीज डाइ-ऑक्साइड (MnO2) में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार, मैंगनीज डाइ-ऑक्साइड के प्रयोग से ध्रुवाच्छादन दोष दूर हो जाता है।
EMF of (Galvanic) Voltaic Cell in Hindi-
वोल्टेइक सैल (Voltaic Cell) का विद्युत वाहक बल 1.08V होता है।
वोल्टेइक सैल का उपयोग (Uses of Voltaic Cell in Hindi)-
वर्तमान में इस सेल का उपयोग नके बराबर किया जाता है फिर भी, प्रयोगशालाओं में अध्ययन के लिए एवं सैलों का उपयोग स्थिर वोल्टेज एवं धारा प्रदान करने वाले वैद्युतिक उपकरणों में किया जाता है।
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