What is Daniel Cell in Hindi - डेनियल सेल किसे कहते हैं?
डेनियल सेल किसे कहते हैं?, उपयोग, कार्यविधि:-
डेनियल सेल की बनावट (Construction of Daniel Cell in Hindi) -
सन् 1836 में प्रो. डेनियल ने प्रयोगशालाओं में प्रयोग किए जा सकने वाले सैल का निर्माण किया। वैज्ञानिक प्रो. डेनियल के नाम पर इस सैल का नाम डेनियल सैल रखा गया। इसमें, एनोड के रूप में ताँबे (Cu) का एक बेलनाकार पात्र प्रयोग किया जाता है। बर्तन में ऊपर की ओर ताँबे का छिद्रयुक्त छज्जा (balcony) बना होता है, जिसमें कॉपर-सल्फेट (CuSO4) के ठोस रवे (crystals) भरे जाते है। इस सैल में कॉपर-सल्फेट का घोल, इलैक्ट्रोलाइट के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक लम्बे बेलनाकार सरन्ध्र-पात्र (porous pot) में तनु गन्धक का अम्ल (H2SO4) भरा जाता है और उसके बीच एक जस्ते की छड़ स्थापित की जाती है, जो कैथोड का कार्य करती है
डेनियल सेल की रासायनिक क्रियाएँ (Chemical Actions of Daniel Cell in Hindi) -
इलैक्ट्रोलाइट H2SO4 में हाइड्रोजन के धन तथा सल्फेट के ऋण आयन उपस्थित होते हैं,
H2SO4 → (2H+) + (SO4--)
एनोड तथा कैथोड को लोड से संयोजित कर देने पर सैल में निम्न रासायनिक क्रियाएँ होती हैं
(i) कैथोड पर
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 (हाइड्रोजन गैस मुक्त हो जाती है।)
(ii) एनोड पर
CuSO4 + H2→ H2SO4 + Cu
इस प्रकार, कैथोड पर मुक्त हुई हाइड्रोजन, कॉपर सल्फेट से क्रिया करके ताँबा तथा गन्धक का अम्ल पैदा करती है।
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डेनियल सेल की दोष एवं निवारण (Defects and Remedy of Daniel Cell in Hindi) -
डेनियन सैल में कॉपर सल्फेट द्वारा ध्रुवाच्छादन (Polarization in Daniel Cell) दोष को पैदा ही नहीं होने दिया जाता। इसके अतिरिक्त, Zn की छड़ को तनु H2SO4 के अम्ल में डुबोकर सरन्ध्र-पात्र में रखा जाता है, जिससे स्थानीय क्रिया (Local Action in Daniel Cell) दोष भी पैदा नहीं होता।
डेनियल सेल की वोल्टेज एवं आतंरिक प्रतिरोध (EMF and Internal resistance of Daniel Cell in Hindi)-
डेनियल सैल का विद्युत वाहक बल 1.1 वोल्ट होता है, जो स्थिर रहता है। इसका आन्तरिक प्रतिरोध 2 से 6Ω तक होता है।
इसका उपयोग प्रयोगशालाओं में स्थिर वोल्टेज प्रदान करने वाले सैल के रूप में किया जाता है।
Daniel sel kise kahate Hain
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